Saturday 21 December 2019

rajasthan state stroke, राजस्थान के प्रमुख आंदोलन

राजस्थान के प्रमुख आंदोलन

♣♣ राजस्थान के किसान आंदोलन ♣♣

1. बजौलिया किसान आंदोलन (1897 -1941) ===> बिजौलिया ठिकाने का संस्थापक अषोक परमार था।खानवा के युद्ध में सांगा की सहायता करने के कारण, सांगा ने यह ठिकाना अषोक परमार को दिया था।बिजौलिया का क्षेत्र उपरमाल के नाम से जाना जाता हैं। इस ठिकाने में धाकड़ किसान कृषि कार्य करते थे।यह आंदोलन लागबाग (83 प्रकार की थी), बेगार, लाटा, कुंता व चंवरी कर, तलवार बंधाई कर (भू-राजस्व निर्धारणकी पद्धतियां) के विरोध के पिरणामस्वरूप हुई थी।बिजौलिया किसान आंदोलन की शुरूआत साधुसीतारामदास, नानकजी पटेल व ठाकरी पटेल के नेतृत्व में हुई थी।जिसकी बागड़ोर 1916 में विजयसिंह पथिक ने सम्भाली।1917 ई. में विजयसिंह पथिक ने ऊपरमाल पंचबोर्ड़ की स्थापना की।1927 में विजयसिंह पथिक इस आंदोलन से अलग हो गए।विजयसिंह पथिक के बाद माणिक्यलाल वर्मा, हरिभाऊ उपाध्याय तथा जमनालाल बजाज ने इस आंदोलन की बागड़ोर संभाली ।माणिक्यलाल वर्मां व मेवाड़ रियासत के प्रधानमंत्री टी.राघवाचार्य के बीच समझौता हुआ और किसानों की अधिकांश माँग मान ली गयी।विजयसिंह पथिक को किसान आंदोलन का जनक कहा जाता हैं।

2. बेंगु किसान आंदोलन (चित्तौड़गढ़) (1921) ===> इसकी शुरूआत लाग बाग, बेगार प्रथा के विरोध के पिरणामस्वरूप कारण सन् 1921 ई. हुई थी।आंदोलन की शुरूआत रामनारायण चैधरी ने की बाद में इसकी बागड़ोर विजयसिंह पथिक ने सम्भाली थी। इस समय बेंगु के ठाकुर अनुपसिंह थे।1923 में अनुपसिंह और राजस्थान सेवा संघ के मंत्री रामनारयण चैधरी के मध्य एक समझौता हुआ जिसे वोल्सेविक समझौते की संज्ञा दी गई। यह संज्ञा किसान आंदोलन के प्रस्तावों के लिए गठित ट्रेन्च आयोग ने दी थी।13 जुलाई,1923 को गोविन्दपुरा गांव में किसानों का एक सम्मेलन हुआ, सेना के द्वारा किसानों पर गोलिया चलाई गयी। जिसमें रूपाजी और कृपाजी नामक दो किसान शहीद हुए। अन्त में बेगार प्रथा को समाप्त कर दिया गया। यह आन्दोलन विजयसिंह पथिक के नेतृत्व में समाप्त हुआ था।

3. अलवर किसान आंदोलन ===> अलवर में दो आंदोलन हुए थे :---

i) सुअरपालन विरोधी आंदोलन (1921) ===> अलवर में बाड़ों में सुअर पालन किया जाता था, जब कभी इन सुअर को खुला छोड़ा जाता था, तब ये फसल नष्ट कर देते थे। जिसका किसानों ने विरोध किया, जबकि सरकार ने सुअरों को मारने पर पाबंदी लगा रखी थी। लेकिन अंत में सरकार के द्वारा सुअरों को मारने की अनुमति दे दी एवं आंदोलन शांत हो गया।

ii) नीमूचणा किसान आंदोलन (1923-24) ===> अलवर के महाराजा जयसिंह द्वारा लगान की दर बढ़ाने पर 14 मई, 1925 को नीमूचणा गांव में 800 किसानों ने एक सभा आयोजित कीजिस पर पुलिस ने गोलियां चलाई जिसमें सैकड़ों किसान मारे गए।गांधीजी ने इस आंदोलन को जलियांवालाबाग कांड से भी वीभत्स की संज्ञा दी और इसे दोहरे डायरिजम की संज्ञा दी।

4. बूंदी किसान आंदोलन (1926) ===> इस आंदोलन को बरड़ किसान आंदोलन भी कहते हैं। आंदोलन का मुख्य कारण अत्यधिक लगान, लाग बाग और बेगार थी।आंदोलन की शुरूआत नैनूराम शर्मा ने की। इनके नेतृत्व में डाबी नामक स्थान पर किसानों का एक सम्मेलन बुलाया, पुलिस ने किसानों पर गोलिया चलाई, जिसमें झण्डा गीत गाते हुए नानकजी भील शहीद हो गए।कुछ समय बाद माणिकलाल वर्मा ने इसका नेतृत्व किया। यह आंदोलन 17 वर्षं तक चला एवं 1943 में समाप्त हो गया।

5. दूधवा-खारा किसान आंदोलन (1946-47) ===> बीकानेर रियासत के चुरू में हुआ। आंदोलन का कारण जमींदारों का अत्याचार था। इस समय बीकानेर के शासक शार्दुलसिंजी (गंगासिंहजी के पुत्र) थे। इस आंदोलन का नेतृत्व रघुवरदयाल गोयल, वैद्य मघाराम, हनुमानसिंह आर्य के द्वारा किया गया।

6. मातृकुण्डिया किसान आंदोलन (चित्तौड़गढ़) ===> 22 जून, 1880 में हुआ। यह एक जाट किसान आंदोलन था। इसका मुख्य कारण नई भू-राजस्व व्यवस्था थी। इस समय मेवाड़ के शासक महाराणा फतेहसिंह थे।

7. मेव किसान आंदोलन (1931) ===> यह अलवर व भरतपुर (मेवात) में हुआ। अलवर, भरतपुर के मेव बाहुल्य क्षेत्र को मेवात कहते हैं। यह लगान विरोधी आंदोलन था। आंदोलन का नेतृत्व मोहम्मद अली के द्वारा किया गया।

8. किषोरीदेवी (25 अप्रैल, 1934) ===> सीकर के कटराथल नामक स्थान पर सरदार हरलालसिंह की पत्नि किषोरदेवी के नेतृत्व में जाट महिलाओं का एक सम्मेलन बुलाया गया। जिसमें लगभग 10,000 महिलाओं ने भाग लिया।श्रीमती रमादेवी, श्रीमती दुर्गादेवी, श्रीमती उत्तमादेवी ने इस आंदोलन में सक्रिय भाग लिया था। किषोरीदेवी के प्रयासों से शेखवाटी क्षेत्र में राजनैतिक चेतना जागृत हुई।

9. जयसिंहपुरा किसान हत्याकाण्ड (1934) ===> यह 21 जून, 1934 को डूंडलोद के ठाकुर के भाई ने खेत जोत रहे किसानों पर गोलिया चलाई, जिसमें अनेक किसान शहीद हुए। ठाकुर के भाई ईश्वरसिंह पर मुकदमा चलाया गया।

10. शेखावटी किसान आंदोलन (1925) ===> यह आंदोलन पलथाना, कटराथल, गोधरा, कुन्दनगांव आदि गांवों में फैला हुआ था।खुड़ी गांव और कुन्दन गांव में पुलिस द्वारा की गई कार्यवाही में अनेक किसान मारे गये।शेखावटी किसान आंदोलन में जयपुर प्रजामण्डल का योगदान था।1946 में हीरालाल शास्त्री के माध्यम से आंदोलन समाप्त हुआ।

❀❀❀❀❀❀❀❀❀❀❀❀❀❀❀❀❀❀❀❀❀❀❀❀

♣♣ राजस्थान के जनजातीय आंदोलन ♣♣

1. भगत आंदोलन/गोविन्दगिरी आंदोलन (1883) ===> भील, आदिवासी संन्यासियों को भगत कहा जाता था।यह आंदोलन आदिवासी भील बाहुल्य डुंगरपुर और बांसवाड़ा में हुआ था।गोविन्दगिरी के द्वारा भीलों में व्याप्त बुराईयों, कुप्रथाओं को दूर करने के लिए एवं भीलों में राजनैतिक चेतना जागृत करने के लिए 1883 में संप (भाईचारा या सम्पत) सभा की स्थापना की एवं धूणी की स्थापना की जहां गोविन्दगिरी ने भीलों को उपदेष दियें।गोविन्दगिरी दयानन्द सरस्वती की विचारधारा से प्रेरित थे। इन्होने बांसवाड़ा की मानगढ़ की पहाड़ी को अपनी कर्मभूमि बनाया।7 दिसम्बर, 1908 को हजारों की संख्या में भील इस पहाड़ी पर इकटठे हुए। पुलिस के द्वारा इन पर गोलियां चलाई गई, जिसमें लगभग 1500 भील मारे गए।प्रतिवर्ष इस स्थान पर अष्विन शुक्ल पूर्णिमा को मेला भरता हैं।ब्रिटिश सरकार और रियासत के द्वारा इस आंदोलन को दबा दिया गया।

2. एकी आंदोलन/भोमट भील आंदोलन (1921-23) ===> इस आंदोलन का सुत्रपात मोतीलाल तेजावत ने किया था। इन्हे आदिवासियों का मसीहा कहा जाता हैं।मोतीलाल तेजावत का जन्म उदयपुर के कोलियार गांव में एक ओसवाल परिवार में हुआ था। इस आंदोलन का प्रमुख कारण भीलों में व्याप्त असंतोष था। असंतोष के कारण निम्न थें===>

i) भीलों में व्याप्त सामाजिक बुराईयां व उनकी प्रथाओं पर ब्रिटिश सरकार ने रोक लगा दी थी।

ii) तम्बाकू, अफीम और नमक पर कर लगाए गए। यदि भील कर नहीं चुकाता तो उसे खेती नहीं करने दी जाती थी।

iii) भीलों से लाभ और बेगार लेने के लिए क्रुरतापूर्वक व्यवहार किया जाता था।

► मोतीलाल तेजावत ने सभी भीलों को एकत्रित कर इस आंदोलन का श्रीगणेष 1921 में झाड़ोल और फालसिया से किया था।1922 में तेजावत ने नीमड़ा गांव में भीलों का एक सम्मेलन बुलाया। जिसकी घेराबंदी ब्रिटिष सरार ने की व अंधाधुंध गेालियां चलाई। निमड़ाकाण्ड को दूसरा जिलयांवाला काण्ड कहते हैं।तेजावत भूमिगत हो गए। 1929 में मोतीलाल तेजावत ने महात्मा गांधी की प्रेरणा से पुनः भीलों केलिए कार्य किये और वनवासी संघ नामक संस्था की सन् 1936 में स्थापना की।इस संघ के मुख्य सदस्य मोतीलाल पाण्ड्य (बांगड़ का गांधी), माणिक्यलाल वर्मा और मोतीलाल तेजावत थे।

3. मीणा आंदोलन (1930) ===> यह जयपुर रियासत में हुआ।इसका कारण 1924 में ब्रिटश सरकार ने क्रिमिनल ट्राइब्स एक्ट बनाया तथा 1930 में जयपुर राज्य में जरायम पेशा कानून बनाया जिसमें मीणाओं को अपराधी जाति घोषित कर दिया और इन्हें दैनिक रूप से निकटतम थाने में उपस्थिति दर्ज करवाना अनिवार्य कर दिया।मीणाओं ने इसका विरोध किया और संघर्षं के लिए 1933 मीणा क्षत्रिय महासभा का गठन , मीणा जाति सुधार कमिटी का गठन किया और 1944 में मुनि मगर सागर की अध्यक्षता में नीमका थाना में एक सम्मेलन बुलाया और 1946 में स्त्रियों और बच्चों को इस कानून से मुक्त कर दिया।28 अक्टूबर, 1946 को बागावास में मीणाओं ने सम्मेलन बुलाया और चैकीदारी के काम से इस्तीफा दे दिया।आजादी के बाद 1952 में जरायम पेशा कानून पूर्ण रूप से समाप्त कर दिया गया।

❀❀❀❀❀❀❀❀❀❀❀❀❀❀❀❀❀❀❀❀❀❀❀❀

♣♣ स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान गठित संस्थाए/संघ/संगठन ♣♣

1. सभ्य सभा की स्थापना ===> इसकी स्थापना गुरू गोविन्द गिरी ने आदिवासी हितों की सुरक्षा के लिए की थी।

2. राजस्थान सेवा संघ (1919) ===> इस संस्था को 1920 में अजमेर स्थानांतरितकरदिया गया।राजस्थान सेवा संघ में प्रमुख भूमिका अर्जुनलाल सेठी, विजयसिंह पथिक, केसरीसिंह बारहठ एवं रामनारायण चैधरीने निभाई थी।

3. राजपुताना मध्य भारत सभा (1919) ===> इसकी स्थापना आमेर में जमनालाल बजाज ने की थी। इसमें मुख्य भूमिका अर्जुनलाल सेठी एवं विजयसिंह पथिक ने निभाई थी।

4. वीर भारत समाज (1910) ===> इसकी स्थापना विजयसिंह पथिक ने की थी।

5. वीर भारत सभा (1910) ===> इसकी स्थापना केसरीसिंह बारहठ़ एवं गोपालदास खरवा ने की थी।

6. जैन वर्द्धमान विद्यालय (1907) ===> इसकी स्थापना अर्जुनलाल सेठी ने जयपुर में की थी।

7. वागड़ सेवा मंदिर एवं हरिजन सेवा समिति (1935) ===> इसकी स्थापना भोगीलाल पाण्ड्या ने की थी।

8. मारवाड़ सेवा संघ (1920) ===> इसकी स्थापना चांदमल सुराणा ने की थी।मारवाड़ सेवा संघ को सन् 1924 में जयनारायण व्यास ने पुनः जीवित किया और एक नई संस्था की स्थापना की जिसे ‘‘मारवाड़ हितकारणी सभा’’ के नाम से जाना गया।

9. मारवाड़ हितकारणी सभा ===> इसकी स्थापना 1929 में हुई।

10. अखिल भारतीय देषी राज्य लोक परिषद (1927) ===> इसकी स्थापना में मुख्य भूमिका जवाहरलाल नेहरू ने निभाई थी।इसका प्रथम अधिवेषन मुम्बई में

Monday 2 December 2019

हास्य व्यंग्य

*तोंद*

पेट के तोंद मे बदलने का अंदेशा सबसे पहले तोंद के मालिक को ही होता है पर असमंजस बना रहता है पहले कुछ महिनो तक ! वो उसे *पेट* ही कहता रहता है ! उसके अस्तित्व से ही इनकार करता है !
हल्के से लेता है वो अपनी तोंद को ! समझाता है वो खुद को कि ये लगातार हो रहे शादी ब्याहो मे उडाये गये तर माल का नतीजा भर है ! उसे लगता है पिछले *कुछ* दिनो से पूरी ना हो सकी नींद की वजह से हुआ है ऐसा और जल्दी ही वह अपने पुराने शेप मे लौट आयेगा !

नयी नयी तोंद के मालिक को लगता है कि ये *मौसमी* वायरल टाईप की ,भरी जवानी मे हुये मुँहासो जैसी ही कोई चीज है ! जिसे बिना इलाज के एकाध हफ्ते मे *खुदबखुद* ठीक हो ही जाना है !

पर ऐसा होता नही ! हफ्ते महिनो मे बदलते है वो वो *नामुराद* चीज उसके सीने से नीचे और कमर के ऊपर बेशरमी से अपना आयतन बढाती रहती है !
बीबी बच्चे टोकने लगते हैं ऐसे में ! वो बीबी के माथे मढता है अपनी तोंद ! उसके बनाये खाने को ,उसके जिद करके खरीदे गये टीवी को ,रोज रोज आते त्यौहारो को ,अपने बाप ,दादाओ की तोदों सी आनुवांशिकता को इसका जिम्मेदार बताता है !

तोंद का जिक्र होते ही मुँह बनाता है ! लडने भिडने पर ऊतारू होता है और घर का माहौल खराब कर देता है ! चाहता ही नही कोई यह नाजुक मुद्दा छेडे ! बीबी बच्चे जल्दी ही समझदार हो जाते है ऐसे मे और तोंद अनदेखी की जाने लगती है !

पर तोंद को पसंद आता नही अनदेखा किया जाना ! वह शर्ट के *बटन* तोड कर प्रगट हो जाना चाहती है ! हो ही जाती है ! मजबूर कर देती है बंदे को कि शर्ट इन करना छोड दे ! बहुत बार शर्ट हाथ खडे कर देती है तब कुरता इज्जत बचाने की जिम्मेदारी उठाने आगे आता है !

बीबी बच्चे मन मार कर भले ही तोंद की तरफ से आँखे फेर लें पर *कमीने* दोस्त यार मानते नही ! मजे लिये जाते है तोंद के मालिक के ! तोंद के फायदे समझाने के साथ साथ उसे तोंद के निकल आने के ऐसे ऐसे कारण बताते है जो केवल खून जलाते हैं ! तोंद से पीछा छुडाने के ऐसे ऐसे जानलेवा तरीके भी बताना भी दोस्त अपना फर्ज समझते है जिन्हे अमल मे लाने के चक्कर मे बंदे की जान जाते जाते बचती है !

बहुत बार तानो से प्रेरित भी होता है वो ! लडता है वो अपनी तोंद से ! *कसम* उठाता है कि वो वापस अपनी तेईस साल की उम्र वाला पेट हासिल करके ही दम लेगा ! अपने लिये *कठिन* टाईम टेबल तय कर लेता है वो ! नये मँहगे *स्पोर्ट्स* शू खरीदता है ! सुबह जल्दी उठकर घूमने जाना शुरू होता है ! क्या खाना है ! कितनी पीना है जैसे महत्वपूर्ण बिंदुओ को भी इस टाईम टेबल मे जगह दी जाती है ! नजदीकी जिम की साल भर की फीस *एडवान्स* मे भर दी जाती है ! कपालभाति और अनुलोम विलोम भी जिंदगी मे चले आते हैं ! आयुर्वेद के मरियल से डॉक्टरो की सलाहो पर अमल भी होता है ! यह सिलसिला चलता भी है कुछ दिन !

फिर कभी अचानक लेट नाईट पार्टी हो जाती है ! मौसम अचानक खराब हो जाता है ! सुबह सुबह बॉस को लेने एयरपोर्ट  भी जाना पडता है बंदे को ! कभी कभी पीठ की कोई नस खिंच जाती है ! नतीजा वही निकलता है इसका ! स्पोट्स शू पर *धूल* जमने लगती है और तोंद चीन की तरह चुपचाप अपना *इलाका* बढाने मे लगी रहती है !
तोंद और आदमी की लडाई मे तोंद हमेशा बाजीराव पेशवा साबित होती है ! आपको हथियार डालने ही पडते है इस अजेय योद्धा के सामने ! घुटने टेकता है वो अपनी तोंद के सामने और संधि करने पर विवश होता है !

ऐसे में अब क्या करे आदमी ! वो अनचाहे गर्भवती हो गयी महिला की तरह बर्ताव करता है ! ढीले कपडे पहनना शुरू करता है अब वो ! कुछ समय पहले ही खरीदी गई पेंट के बगावती हुको को नजरअंदाज कर अगली साईज का पेंट खरीदता है ! फोटो शूट करते वक्त *साँस* बाहर छोडता है और तब तक साँस नही लेता जब तक फोटोग्राफर क्लिक ना कर दे ! अपनी फोटो तब तक एडिट करता है जब तक उसमे से तोंद *अन्तर्ध्यान* ना हो जाये !

तोंद से पराजित आदमी सोफे मे धँसे रहना स्वीकार कर लेता है ! अब टीवी पर बाबा रामदेव का पेट फुलाना ,पिचकाना प्रभावित नही करता उसे ! वो एक लार्ज पीत्जा ऑर्डर करता है और चैनल बदल देता है ! मान लेता है कि वो अब अपने घुटने कभी नही देख पायेगा !

स्मार्ट लोगो की संगत से बचता है अब वो ! अपने जैसे तोंद के मालिक पंसद आने लगते हैं उसे ! उसके तर्क अपनी तोंद को सपोर्ट करते हैं अब ! मामूली बात है ये यार ! क्या फर्क पडता है ! किसकी नही होती तोंद ! खाये पिये लोगो की निशानी है ये भाई ! एक उम्र के बाद तो सबकी निकल आती है ये ! हमारी भी है तो है !

तोंद का निकलना ,निकले रहना जन्म मरण सा ही विधि हाथ है ! यदि ये आपका नक्शा बिगाड कर पाकिस्तान की तरह पैदा हो ही चुकी है तो मान लीजिये कि वह है !  इससे *लडना* समय और धन की *बरबादी* ही है और कुछ नही !

जीना सीखिये अपनी तोंद के साथ इसी मे सार है !

साभार- अज्ञात

Tuesday 12 November 2019

स्टेचू ऑफ़ यूनिटी सारांश


Indian states and their state animals and birds भारतीय राज्य और उनके राज्य पशु एवं पक्षी


Major Water Projects of India भारत की प्रमुख जल परियोजनाएं

🍫1. इडुक्की परियोजना (Idukki Dam) - पेरियार नदी (Periyar River)
- केरल (Kerala)

🍫2. उकाई परियोजना (Ukai Project) - ताप्ती नदी (Tapi river)
- गुुजरात (Gujarat)

🍫3. काकड़ापारा परियोजना (Kakrapar project) - ताप्ती नदी (Tapi river)
- गुुजरात (Gujarat)

🍫4. कोलडैम परियोजना (Koldam project) - सतलुज नदी - (Sutlej River)
- हिमाचल प्रदेश (Himachal Pradesh)

🍫5. गंगासागर परियोजना (Ganga Sagar project) - चम्बल नदी (Chambal River)
- मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh)

🍫6. जवाहर सागर परियोजना (Jawahar Sagar Project) - चम्बल नदी (Chambal River)
- राजस्थान (Rajasthan)

🍫7. जायकवाड़ी परियोजना (Jayakwadi project ) - गोदावरी नदी (Godavari river)
- महाराष्ट्र (Maharashtra)

🍫8. टिहरी बाँध परियोजना (Tehri Dam Project) - भागीरथी नदी (Bhagirathi River)
- उत्तराखण्ड (Uttarakhand)

🍫9. तिलैया परियोजना (Tilaiya Project) - बराकर नदी (Barakar River)
- झारखंड (Jharkhand)

🍫10. तुलबुल परियोजना (Tulbul Project) - झेलम नदी (Jhelum River)
- जम्मू और कश्मीर (Jammu and Kashmir)

🍫11. दुर्गापुर बैराज परियोजना (Durgapur Barrage Project) - दामोदर नदी (Damodar River)
- पश्चिम बंगाल (West Bengal)

🍫12. दुलहस्ती परियोजना (Dul Hasti Project ) - चिनाब नदी (Chenab River)
- जम्मू और कश्मीर (Jammu and Kashmir)

🍫13. नागपुर शक्ति गृह परियोजना (Nagpur Power Station Project)
- कोराडी नदी (Koradi River) - महाराष्ट्र (Maharashtra)

🍫14. नागार्जुनसागर परियोजना (Nagarjuna Sagar Project) - कृष्णा नदी (Krishna River)
- आन्ध्र प्रदेश (Andhra Pradesh)

🍫15. नाथपा झाकरी परियोजना (Nathpa Jhakri project) - सतलज नदी (Sutlej River)
- हिमाचल प्रदेश (Himachal Pradesh)

🍫16. पंचेत बांध (Panchet Dam) - दामोदर नदी (Damodar River)
- झारखंड (Jharkhand)

🍫17. पोचम्पाद परियोजना (Pochampad project) - महानदी (Mahanadi)
- कर्नाटक (Karnataka)

🍫18. फरक्का परियोजना (Farakka project) - गंगा नदी (Ganges River )
- पश्चिम बंगाल (West Bengal)

🍫19. बाणसागर परियोजना (Bansagar project) - सोन नदी (Son River)
- मध्य प्रदेश (Madya Pradesh)

🍫20. भाखड़ा नांगल परियोजना (Bhakra Nangal Project) - सतलज नदी (Sutlej River)
- हिमाचल प्रदेश (Himachal Pradesh)

🍫21. भीमा परियोजना (Bhima Project) - पवना नदी (Pavana River)
- तेलंगाना (Telangana)

🍫22. माताटीला परियोजना (Matatila project ) - बेतवा नदी (Betwa River)
- उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh)

🍫23. रंजीत सागर बांध परियोजना (Ranjit Sagar Dam Project ) - रावी नदी (Ravi River)
- जम्मू और कश्मीर (Jammu and Kashmir)

🍫24. राणा प्रताप सागर परियोजना (Rana Pratap Sagar Project ) - चम्बल नदी (Chambal River)
- राजस्थान (Rajasthan)

🍫25. सतलज परियोजना (Sutlej Project) - चिनाब नदी (Chenab River)
- जम्मू और कश्मीर (Jammu and Kashmir)

🍫26. सरदार सरोवर परियोजना (Sardar Sarovar Project) - नर्मदा नदी (Narmada River)
- गुुजरात (Gujarat)

🍫27. हिडकल परियोजना (Hidkal project) - घाटप्रभा परियोजना (Ghataprabha River)
- कर्नाटक (Karnataka)

Thursday 10 October 2019

INTERNATIONAL ORGANIZATIONS HEADQUARTERS TRICKS

Some tricks to remember the headquarters of the organizations


Rule 1: If the name of any Organization starts with "World or International" and ends with "Organization", their headquarters will be in "Geneva, Switzerland".

Remember: [ W_O & I_O ] ---- Geneva, Switzerland

[ W_O]

World Health Organisation

World Intellectual Property Organization

World Meteorological Organization

World Trade Organization

[ I_O]- Except IMO

International Labour Organization

International Committee for Red Cross Organization

International Standardization Organization [ISO] ----originally International Organization for Standardization

United Nation Conference on Trade And Development


Rule 2: Trick for Organizations whose headquarters are in London

Remember: I Am a Common man in London

I - International Maritime Organization (IMO)

Am - Amnesty International

Common - Commonwealth of Nations

Common - Commonwealth Telecommunication Organization


Rule 3: If any Organization is related to "International Money or Monetary organization", its headquarters will be in Washington DC.

International Monetary fund

World Bank


Rule 4: If any Organization is related to "Industrial Development/ Petroleum/ Atomic", its headquarter will be in "Vienna, Austria"

United Nations Industrial Development Organization

International Atomic Energy Agency

Organization of the Petroleum Exporting Countries


Rule 5: For Headquarters of Organizations located in Newyork, remember - "UN Child Emergency in Newyork"

UN Child Emergency in Newyork

United Nations Organization

United Nation International Children Emergency Fund


Rule 6: If any Organization is related to the term "Economic & Educational", its headquarter will be located in Paris

Organization for Economic Co-Operation Development

United Nations Educational, Scientific and Cultural Organization

Trick to Remember the Headquarters of some other International Organizations

ASIAN Development Bank [ ADB ]--Manila, Philippines [ ASIAN MANila ]

Association of South East Nations [ ASEAN ]-- Jakarta, Indonesia [ ACE JACK ] --Remember Playing cards

FOOD Agriculture Organisation [ FAO ]--Rome, ITALY [ FOOD IDLY ]

International COURT of JUSTICE-- The HAGUE, Netherlands [ Remember COURT given JUSTICE HANG]

South Asian Association For Regional Cooperation [ SAARC ]--Kathmandu, Nepal



Tuesday 1 January 2019

human eye

मानव आंख 'मानव शरीर की दृष्टि का अंग है जो हमें देखने में सक्षम बनाता है। मानव आंखें मानव खोपड़ी में बने विशेष सॉकेट में स्थित हैं। प्रत्येक मानव आंख का व्यास लगभग 2.5 सेमी होता है। आंख का लेंस रेटिना पर वस्तु की एक उलटी वास्तविक छवि बनाता है।

मानव आँख के प्रमुख भाग हैं- 

रेटिना – रेटिना एक संवेदनशील झिल्ली है जिसमें बड़ी संख्या में प्रकाश-संवेदनशील कोशिकाएं होती हैं।

कॉर्निया- आँख में प्रकाश एक पतली झिल्ली जिसे कॉर्निया कहते है, के माध्यम से प्रवेश करता है। यह आंख की बाह्यतम परत है। यह स्पष्ट, आकार में गुंबद जैसी सतह है जो आंख के अग्र भाग को ढकती है। यह आपकी दृष्टि का ध्यान केंद्रित करने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

पुतली – पुतली आंख के आइरिस के केंद्र में स्थित एक छेद है जो प्रकाश को रेटिना पर पड़ने देता है। यह काला दिखाई देता है क्योंकि पुतली में प्रवेश करने वाली प्रकाश किरणों को सीधे आंखों के अंदर ऊतकों द्वारा अवशोषित किया जाता है या आंखों के भीतर परावर्तन प्रसार के बाद अवशोषित किया जाता है। पुतली आंख में प्रवेश करने वाली रोशनी की मात्रा को नियंत्रित करता है।

आइरिस – यह एक गहरी मांसपेशी झिल्ली है जो पुतली के आकार को नियंत्रित करती है और इस प्रकार रेटिना तक पहुंचने वाली रोशनी की मात्रा को नियंत्रित करती है।

सिलिअरी मांसपेशी – सिलिअरी मांसपेशी आंख की मध्यम परत में चिकनी मांसपेशियों का एक गोला है जो अलग-अलग दूरी पर वस्तुओं को देखने के लिए सामंजस्य को नियंत्रित करती है और श्लेम नलिका में भाव के जलीय प्रवाह को नियंत्रित करती है। यह आंख के भीतर लेंस के आकार को बदलती है, न कि पुतली के आकार को। 

प्रकाश संवेदनशील कोशिकाएं रोशनी पड़ने पर सक्रिय होती हैं और विद्युत संकेत उत्पन्न करती हैं। ये संकेत मस्तिष्क को ऑप्टिक नसों के माध्यम से भेजे जाते हैं। मस्तिष्क इन संकेतों का अर्थ देता है, और अंततः सूचनाओं को संसाधित करता है ताकि हम वस्तुओं को समझ सकें।

जब प्रकाश बहुत उज्ज्वल होता है, तो आईरिस पुतली को आंखों में कम रोशनी प्रवेश करने देता है। हालांकि, मंद रोशनी में आईरिस पुतलिओं द्वारा आंखों में अधिक रोशनी प्रवेश करने देने के लिए फैलता है। इस प्रकार, आईरिस के विश्राम के माध्यम से पुतली पूरी तरह से खुलती है।

एक इंसान एक आंख से लगभग 150 डिग्री क्षैतिज क्षेत्र देख सकता है और दोनों आँखों से लगभग 180 डिग्री देख सकता है। 

समीप बिंदु या दूरस्थ दृष्टि की कम दूरी:
- वह न्यूनतम दूरी जिस पर वस्तुओं को बिना तनाव के विशिष्ट रूप से देखा जा सकता है।
- सामान्य वयस्क आंखों के लिए, इसका मान 25 सेमी है
- मानव दृष्टि की सीमा - अनंत से 25 सेमी तक।

संयोजन 
अपनी फोकल लंबाई समायोजित करने के लिए आंखों के लेंस की क्षमता को संयोजन कहा जाता है। सिलीरी मांसपेशियों की मदद से फोकल लंबाई बदल सकती है।
- जब सिलीरी मांसपेशियों को आराम मिलता है और लेंस पतला हो जाता है तो फोकल की लंबाई बढ़ जाती है ।
- जब सिलीरी मांसपेशियां सिकुड़ती हैं और लेंस मोटा हो जाता है तो फोकल की लंबाई कम हो जाती है।

मोतियाबिंद- आंशिक या विकृत दृष्टि की स्थिति को मोतियाबिंद कहा जाता है। यह आंखों के लेंस पर झिल्ली वृद्धि के कारण होता है। इस स्थिति में क्रिस्टलीय लेंस दूधिया या धुंधला बन जाता है।

दृष्टि दोष एवं सुधार

1. निकटदृष्टि दोष या लघु दृष्टि: निकटदृष्टि दोष से पीड़ित व्यक्ति निकट की वस्तुओं को स्पष्ट रूप से देख सकता है परन्तु दूर की वस्तुएं स्पष्ट नहीं दिखाई देती हैं।

कारण:
• धुरी के साथ नेत्रगोलक का दीर्घीकरण।
• आँखों के लेंस की फोकल लंबाई में कमी।
• लोचदार सीमा से परे सिलिअरि मांसपेशियों का लोचदार सीमा से अधिक खिंचाव।

सुधार: उपयुक्त शक्ति के अवतल लेंस का उपयोग करके इसमें सुधार किया जाता है। आंख के सामने रखा अवतल लेंस मायोपिक आंख के बहुत दूर बिंदु पर दूरस्थ वस्तु की आभासी छवि बनाता है।





2. हाइपरोपिया या हाइपरमेट्रोपिया या दीर्घदृष्टि दोष: हाइपरमेट्रोपिया से पीड़ित व्यक्ति दूर की वस्तुओं को स्पष्ट रूप से देख सकता है लेकिन निकट वस्तुओं को नहीं।

कारण:
• धुरी के साथ नेत्रगोलक का छोटा होना।
• आँखों के लेंस की फोकल लंबाई में वृद्धि।
•सिलिअरि मांसपेशियों का सख्त होना।

सुधार- उपयुक्त शक्ति के उत्तल लेंस का उपयोग दोष को सही कर सकता है।




3. प्रेस्बिओपिया/जरादूरदृष्टि: यह दोष आम तौर पर वरिष्ठ लोगों में पाया जाता है। सिलीअरी मांसपेशियों के कड़े होने के कारण, आंख अपनी अधिकांश समायोज्य शक्ति खो देती है। नतीजतन दूर-दराज के साथ-साथ आस-पास की वस्तुयें भी नहीं दिखाई देती। बुजुर्ग व्यक्तियों का निकट बिंदु में प्रेस्बिओपिया धीरे-धीरे घटता है और 25 सेमी से अधिक हो जाता है।
कारण:
- सिलीअरी मांसपेशियों का धीरे-धीरे कमजोर पड़ना
- आँखों के लेंस का लचीलापन कम होना

सुधार:
- द्विनाभित चश्मा या प्रोग्रेसिव एडिशन लेंस (पीएएल) पहनने से जिसमें लेंस का ऊपरी भाग अवतल लेंस होता हैं और निचला भाग उत्तल लेंस होता है।

4. दृष्टिवैषम्य: दृष्टिवैषम्य एक दोष है जिसमें आंखों में प्रवेश करने वाली प्रकाश किरणें रेटिना पर एक ही फोकल बिंदु पर प्रकाश को समान रूप से केंद्रित नहीं करती हैं बल्कि बिखर जाती हैं। प्रकाश किरणें इस तरह से बिखरती हैं कि कुछ किरणें रेटिना पर ध्यान केंद्रित करती हैं और कुछ इसके सामने या पीछे फोकस करती हैं।

दृष्टिवैषम्य के कारण:
कॉर्निया की असमान वक्रता; जिसके परिणामस्वरूप किसी भी दूरी पर एक विकृत या धुंधली दृष्टि होती है।

दृष्टिवैषम्य का सुधार
- एक विशेष गोलाकार बेलनाकार लेंस का उपयोग करके दृष्टिवैषम्य में सुधार हो सकता है।

Mensuration Formulas ALP CBT2

Mensuration





















Q1. From a solid sphere of radius 15 cm, a right circular cylindrical hole of radius 9 cm whose axis passing through the centre is removed. The total surface area of the remaining solid is:
त्रिज्या 15 सेमी के एक गोले से, त्रिज्या 9 सेमी का लंब वृत्तीय बेलनाकार छेद काटा जाता है, जिसका अक्ष इसके केंद्र से गुजरता है. शेष ठोस का कुल प्रष्ठीय क्षेत्रफल कितना है:
(a) 1188π cm²/वर्ग सेमी
(b) 108π cm²/वर्ग सेमी
(c) 1170π cm²/वर्ग सेमी
(d) 144π cm²/वर्ग सेमी
Q2. A conical circus tent is to be made of canvas. The height of the tent is 35 m and the radius of the base is 84 m. If π = 22/7, then the canvas required is:
एक शंक्वाकार सर्कस तम्बू कैनवास से बना है. तम्बू की ऊंचाई 35 मीटर है और आधार की त्रिज्या 84 मीटर है. यदि π = 22/7, तो आवश्यक कैनवास कितना है:
(a) 24000 m²/वर्ग मीटर
(b) 24004 m²/वर्ग मीटर
(c) 24014 m²/वर्ग मीटर
(d) 24024 m²/वर्ग मीटर
Q3. A hemispherical basin 150 cm in diameter holds water one hundred and twenty times as much a cylindrical tube. If the height of the tube is 15 cm, then the diameter of the tube (in cm) is:
एक अर्धगोलकीय बेसिन का व्यास 150 सेमी है जो एक बेलनाकार ट्यूब की तुलना में एक सौ बीस गुना अधिक पानी को इकत्रित कर सकता है. यदि ट्यूब की ऊंचाई 15 सेमी है, तो ट्यूब का व्यास (सेमी में) है?
(a) 23
(b) 24
(c) 25
(d) 26
Q4. Two circles of unit radii, are so drawn that the centre of each lies on the circumference of the other. The area of the region, common to both the circles, is:
इकाई त्रिज्या के दो वृत, इस प्रकार बनाये जाते हैं कि प्रत्येक का केंद्र दूसरे की परिधि पर स्थित है. दोनों वृतों के उभयनिष्ट क्षेत्र का क्षेत्रफल कितना है:
(a) (4π-3√3)/12
(b) (4π-6√3)/12
(c) (4π-3√3)/6
(d) (4π-6√3)/6
Q5. Water flows at the rate of 10 m per minute from a cylindrical pipe 5 mm in diameter. A conical vessel whose diameter is 40 cm and depth 24 cm is filled. The time taken to fill the conical vessel is:
एक 5 मिमी व्यास वाले बेलनाकार पाइप से पानी 10 मीटर प्रति मिनट की दर से बहता है. एक शंक्वाकार पात्र भरा जाता है जिसका व्यास 40 सेमी और गहराई 24 सेमी है. शंक्वाकार पात्र को भरने में लिया गया समय है
(a) 50 min./मिनट
(b) 50 min. 12 sec./ 50 मिनट 12 सेकंड
(c) 51 min. 12 sec./ 51 मिनट 12 सेकंड
(d) 51 min. 15 sec./ 51 मिनट 15 सेकंड
Q6. A cone, a hemisphere and a cylinder stand on equal bases of radius R and have equal heights H. Their whole surfaces are in the ratio:
एक शंकु, एक अर्धगोल और एक सिलेंडर की आधार की त्रिज्या R समान है और ऊंचाई H समान है . उनका कुल प्रष्ठीय सतह का अनुपात कितना है:
(a) (√3+1) : 3 : 4
(b) (√2+1) : 7 : 8
(c) (√2+1) : 3 : 4
(d) None of these/इनमें से कोई नहीं

भारत के प्रमुख व्यक्ति और उनके समाधि स्थलों की सूची: (Crematorium of Famous Personalities of India in Hindi)

  भारत के प्रमुख व्यक्ति और समाधि स्थलों की सूची: व्यक्ति का नाम समाधि स्थल का नाम इंदिरा गांधी (भारत की पहली महिला प्रधानमंत्री) शक्ति स्थल...